दगामाते है कदम आँखें यूँ ही हो जाती है नम......
बरबस ही मैं रुक जाया करता हूँ चलके दो कदम........
ज़माने वाले अब हमें पागल समझ ने लगे हैं............
कोई ये न समझे असर है ये तेरी बेवफाई का, ओ-बेवफा सनम.......
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