ओ-बेवफा सनम.................

Saturday, November 20, 2010

दगामाते है कदम आँखें यूँ ही हो जाती है नम......            


बरबस ही मैं रुक जाया करता हूँ चलके दो कदम........


ज़माने वाले अब हमें पागल समझ ने लगे हैं............


कोई ये न समझे असर है ये तेरी बेवफाई का, ओ-बेवफा सनम.......

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